Plz note 👇
One can change this content in his own language 😊 scroll down there is a button of change language
हमारे ब्लॉक धर्म और ज्योतिष में आपका एक बार फिर से स्वागत है आइए चर्चा करते हैं पित्र दोष में कौन से उपाय करने से मिलेगी पितरों को मुक्ति और आप पाएंगे धन-संपत्ति , सुख शांति , और सफलता
क्या होता है पितृदोष
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु असमय हो जाती है जैसे कि की हत्या हुई हो ना किसी के साथ दुर्घटना हुई हो और वह मर गया हो जानबूझकर गर्भपात करा दिया गया हो अस्वाभाविक मृत्यु और जो अकाल मृत्यु भी कहलाती है ठीक है अभी परिवार में जब ऐसा होता है तो वहां पित्र दोष उत्पन्न हो जाता है जो असमय मर चुका है उसकी आत्मा पृथ्वी पर अतृप्त होकर भटकती रहती है
पित्र दोष के लक्षण पर कुप्रभाव
अकाल मृत्यु होने से जब कोई इंसान मर जाता है उसकी आत्मा पृथ्वी पर ही भटकती रहती है बाद में पित्र दोष का कारण बनती है ऐसी आत्माएं भटकती हुई परिवार के हर मंगल कार्य में बाधा उत्पन्न करती है ऐसा वह इसलिए करती हैं ताकि पारिवारिक सदस्यों द्वारा उनकी एवं आत्मा की शांति के निमित्त दान पुण्य और तर्पण किया जा सके पर उन्हें मुक्ति प्रदान हो
जब किसी घर में पित्र दोष उत्पन्न होता है तो उस परिवार में निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं
- परिवार के सदस्यों में अक्सर मतभेद पाया जाता है लड़ाई झगड़े होते रहते हैं और वे परिवार के सदस्य कभी भी एक साथ बैठ नहीं पाते एक साथ बैठेंगे तो लड़ाई झगड़ा करके ही उठेंगे
- घर में किसी तरह का मंगल कार्य होने में बाधा उत्पन्न होती है
- घर में विवाह योग्य लड़के लड़कियों के लिए या तो रिश्ते आते नहीं जा उनके रिश्ते में बाधा उत्पन्न हो जाती है और विवाह बड़ी उम्र होने पर भी नहीं हो पाता
- वंश वृद्धि में भी रुकावट होती है पित्र दोष होने पर तो संतान हो ही नहीं पाती अगर हो भी जाती है तो नर संतान होने में काफी मुश्किलें होती हैं
- काबिलियत होने पर भी नौकरी नहीं मिल पाती व्यापार धंधा नहीं चल पाता यानी कि धन की कमी बनी रहती है
- मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ती है एक बार में सुख शांति की कमी दिखाई पड़ती है उसे सब जगह असफलता का सामना करना पड़ता है
कुंडली से कैसे पता चलता है कि पित्र दोष है
अगर किसी भी तरह से नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के कारणों में आ जाता है।
ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसे व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है। इसके अलावा भी अन्य कई स्थितियां होती है।
हालांकि इसके अलावा व्यक्ति अपने कर्मों से भी पितृदोष निर्मित कर लेता है। विद्वानों ने पितर दोष का संबंध बृहस्पति (गुरु) से बताया है। अगर गुरु ग्रह पर दो बुरे ग्रहों का असर हो तथा गुरु 4-8-12वें भाव में हो या नीच राशि में हो तथा अंशों द्वारा निर्धन हो तो यह दोष पूर्ण रूप से घटता है और यह पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है।
कैसे करें पितरों को प्रसन्न
अभी आपने जाना कि पित्र दोष क्या होता है उसके लक्षण और उसके कुप्रभाव क्या है अब हम जानेंगे कि पित्र दोष के लिए उपाय कौन-कौन से करना चाहिए हो और उन्हें मुक्ति प्राप्त हो
- हर अमावस्या को या पित्र पक्ष में कच्चे खाद्य पदार्थ या पका हुआ भोजन दान करें
- बजरंग बली हनुमान जी की पूजा करने से भी सब प्रकार के रोग दोष अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं
- संक्रांति अमावस्या पूर्णिमा दोनों अष्टमी या ऐसे ही शुभ दिनों जैसे दिवाली दशहरा आदि में मदिरापान मास भोजन करना वर्जित है और ब्रह्माचार्य का पालन करना चाहिए
- गाय कुत्ते को हुए सांडों की सेवा करनी चाहिए उन्हें रोटी ब्रेड नमकीन वगैरा कुछ खाने को देते रहना चाहिए
- किसी भी जीव को तंग नहीं करना चाहिए किसी की हाय नहीं लेनी चाहिए
- अपने बच्चों का पालन पोषण सही ढंग से करना चाहिए दो या तीन संतानें पैदा करें अगर किसी तरह का दोष हो तो किसी अन्य के बच्चे की परवरिश में सहायता करें या किसी को गोद लेकर उसकी परवरिश करें नवजात शिशु का मुख देखते ही पितरों का उतरना शुरू हो जाता है
- गया में पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण दान अवश्य करें
- सूर्य के उपाय करते रहे
- बड़े बुजुर्गों की सेवा सुरक्षा करते रहे उन्हें प्रणाम करें उनका तिरस्कार ना करें और अगर कहीं दूर रहते हो तो टेलीफोन इत्यादि द्वारा उनका हालचाल पूछते रहे उनकी यथासंभव सहायता करें
- श्री मंत्र का जप नित्य प्रति करें
- यदि घर में बरकत ना हो रही हो तो श्री मंत्र का 108 बार जाप करें और श्री सूक्त का पाठ करें
- रोग पीछा ना छोड़ रहा हो तो अपनी दवाई भगवान शिव को अर्पण करें और उनसे अपने सेहत की अच्छी सेहत की कामना मांगे
- पित्र पक्ष में गुड और नमक का दान करना बहुत ही अच्छा माना जाता है
- काले तिल और कंबल का दान भी बहुत अच्छा माना जाता है
- किसी विधवा स्त्री की निस्वार्थ भाव से सहायता करें सहायता के बदले में उसके लिए मन में गलत विचार बिल्कुल ना रखें अन्यथा लाभ की जगह नहीं होगी



0 टिप्पणियाँ