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आज मैं हमारे ब्लॉग ज्योतिष और धर्म में कुंभ राशि के विषय में चर्चा करूंगी काल पुरुष की 11वीं राशि है आप सोच रहे होंगे कि मैं पहली राशि के विषय में बात ना करते हुए 11वीं की राशि के बारे में बात क्यों करने जा रही हूं तो इसका कारण यह है कि कुंभ राशि पर शनिदेव की साढ़ेसाती स्टार्ट हो चुकी है और उसका प्रथम चरण समाप्त होने वाला है और वह साढ़ेसाती के दूसरे चरण में प्रवेश करने वाली है इस समय कुंभ राशि के लोग काफी कंफ्यूजन में है और परेशान भी है यह मैंने उनके विषय में बताना ज्यादा बेहतर समझा
कुंभ राशि के जातक के रूप रंग और बनावट
कुंभ राशि के जातकों की मुखाकृति जो होती है वह
काफी मनोहर और आकर्षक होती है अधिकतर नेत्र बड़े और बाल लंबे होते हैं इनका कद लंबा और शरीर दुबला पतला होता है अधिकतर सांवले रंग के होते हैं गाल कुछ चौड़े होते हैं
कुंभ राशि का स्वभाव
कुंभ राशि के लोग काफी बुद्धिमान होते हैं यह काफी उदार होते हैं इनका सौभाग्य समय के साथ घटता बढ़ता रहता है उनके जीवन में अक्सर उतार-चढ़ाव दिखाई देते हैं यह काफी धार्मिक होते हैं और न्याय प्रिय भी होते हैं
यह ज्यादा किसी से मिलना मिलना पसंद नहीं करते फिर भी उनके काफी मित्र होते हैं और यह समय-समय पर उनकी मदद भी करते रहते हैं इनकी नेचर अक्सर सीक्रेटिव होती है और ये जल्दी अपने मन की बात किसी से नहीं कहते और इनको जानना भी काफी मुश्किल होता है यह अपने परिवार के प्रति समर्पित होते हैं और निष्ठावान भी होते हैं जहां जाते हैं वहां अपना निशान छोड़ जाते हैं बेहद परिश्रमी होते हैं और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेने वाले भी होते हैं
यह थी कुंभ राशि के विषय में कुछ विशेषताएं और उनके गुण अब हम उनके अवगुणों या कमियों के विषय में बात करेंगे
कुंभ राशि की कमियां या अवगुण
एक ऑफिसर की किस्म के होते हैं और उकसाने पर जल्दी गुस्से में भी आ जाते हैं और चिड़चिड़ भी करने लगते हैं क्योंकि इस राशि का तत्व वायु होता है कभी-कभी यह विद्रोही और हठी भी बन जाते हैं
इनके बोल अक्सर कड़वे ही होते हैं यह अक्सर अकेले उदास होते हैं और इन्हें निराशावाद का त्याग करना चाहिए आपको यह हमेशा याद रखना चाहिए कि हर रात के बाद दिन होता है उजाला होता ही है
ज्योतिष के अनुसार इनके भाग्यशाली तत्व
कुंभ लग्न जा राशि के लिए शुक्र जो है वह योगकारक ग्रह होता है बुध ग्रह सम होता है बृहस्पति सूर्य और मंगल मारक ग्रह होते हैं
भाग्यशाली दिन सोमवार ,बृहस्पतिवार, शुक्रवार , मंगलवार होता है
भाग्यशाली रत्न नीलम होता है परंतु नीलम किसी विद्वान ज्योतिष को कुंडली दिखाने के बाद ही पहनना चाहिए क्योंकि यह अपना असर 24 घंटे के अंदर ही दिखाना शुरू कर देता है यह रतन किसी को राजा से रंक और रंक से राजा बनाने की क्षमता रखता है यदि इसको पहनने के बाद आपके साथ दुर्घटना हो या कोई अशुभ स्वप्न आने लगे तो इसे शीघ्र ही उतार देना चाहिए
आदर्श जोड़ीदार या मित्र राशियां मिथुन और तुला इनकी आदर्श जोड़ीदार राशियां है इनके साथ पार्टनरशिप अथवा विवाह के बारे में सोचा जा सकता है
भाग्यशाली रंग पीला, आसमानी , सफेद ,क्रीम इन का भाग्यशाली रंग होता है नारंगी रंग का त्याग करना चाहिए
भाग्यशाली अंक 2,3,6,7,9
कुंभ राशि का आजीविका विचार
कुंभ राशि के लोग काफी प्रतिभावान होते हैं वह अक्सर बौद्धिक कार्यों में सफल होते हैं वे पुरातन विद, कंप्यूटर प्रोग्रामर ,अंतरिक्ष यात्री, ज्योतिषी , लेखक ,रेडियोग्राफर, वैज्ञानिक शास्त्री , शोधकर्ता हो सकते हैं
कुंभ राशि के जातकों का भाग्य उदय कौन से वर्ष में होता है
कुंभ राशि वाले जातकों का भाग्योदय 25 , 28 , 32 ,36 ,42 वे वर्ष में होता है धन सचित करने के लिए कुंभ राशि वाले जातकों के लिए बृहस्पति की दशा उत्तम होती है शनि की दशा भी अच्छी रहती है शुक्र और बुध की दशा राजयोग कारक होती है चंद्रमा और शनि यदि दशम भाव में बैठे हो तो धन योग होता है दूसरे में बृहस्पति और 11वीं में शुक्र बैठा हो तब भी धन योग समझना चाहिए अकेला शनि यदि दसवें भाव में बैठा हो तब भी धन योग होता है
प्रेम विवाह के योग होंगे यदि
- लग्नेश या चंद्रमा की सप्तमेश से केंद्र में युति
- पंचमेश व सप्तमेश दोनों वक्री हो
- पंचमेश या सप्तमेश की युति या आपस में दृष्टि संबंध हो
- मंगल शनि या राहु नवे भाव में बृहस्पति पीड़ित और सप्तमेश लगने से अधिक बली हो
- चंद्रमा और मंगल षडाष्टक की स्थिति में हो तो अंतरजातीय विवाह का योग
कुंभ राशि के लिए भाग्यशाली पेड़
कुंभ राशि के 3 नक्षत्र होते हैं धनिष्ठा , शतभिषा , पूर्वाषाढ़ा इन्हें अपने नक्षत्र के अनुसार ही पेड़ की पूजा करनी चाहिए जिससे कि इनका भाग्योदय आसानी से हो सके और जीवन के कष्ट भी आसानी से कम हो सके परेशानियां दूर हो सके धनिष्ठा नक्षत्र में शनि कमजोर सिटी में माना जाता है शतभिषा में मजबूत माना जाता है और था पूर्वाषाढ़ा में मध्यम माना जाता है
धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल है अतः आता है इन्हें शमी का वृक्ष लगाकर उसकी विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए उसे हर रोज जल इत्यादि चढ़ाना चाहिए
शतभिषा नक्षत्र इस नक्षत्र का स्वामी राहु है इन्हें कदंब के पेड़ की पूजा अर्चना करनी चाहिए शतभिषा नक्षत्र वाले लोग काफी रहस्यमई होते हैं और तंत्र मंत्र के ज्ञाता भी हो सकते हैं
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र इस नक्षत्र का स्वामी गुरु ग्रह है आम के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए



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