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मंत्र जाप के बारे में हिंदी में जानकारी
मंत्र का अर्थ क्या होता है मंत्र जाप करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए मंत्र जाप के लिए कौन-कौन से आवश्यक नियमों का पालन करना चाहिए साधकों के लिए क्या-क्या आवश्यक निर्देश है इन सब के बारे में आज मैं आपको हिंदी में जानकारी दूंगी चलिए सबसे पहले शुरू करते हैं कि मंत्र का क्या अर्थ है
मंत्र का अर्थ
मंत्र का अर्थ है मन का तंत्र मंत्र को किसी भी देवता को संबोधित करने के लिए वैदिक सूक्त माना जा सकता है जैसे यदि कोई व्यक्ति ओम नमः शिवाय का जाप करता है मैं भगवान शिव को संबोधित करते हुए नमस्कार कर रहा होता है
विश्व की गुप्त शक्तियों को जागृत करके उन्हें अपने अनुकूल बनाने वाली विद्या को मंत्र कहा जाता है
दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं की मंत्र कुछ विशिष्ट शब्दों और अक्षरों का समूह है जिनका बारंबार उच्चारण और प्रयोग करके व्यक्ति कुछ ऐसी विशिष्ट विद्युत तरंगे उत्पन्न कर सकता है इससे उसे मनवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है
मंत्र साधकों के लिए कुछ जरूरी और ध्यान देने योग्य बातें
- मंत्र की संख्या निश्चित होनी चाहिए
- जिस मंत्र की भी साधना की कर रहे हो उसे गुप्त रखना चाहिए अर्थात किसी से भी मंत्र जाप के बारे में बात नहीं करना चाहिए
- मंत्र का जाप पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए
- मंत्र जाप शुरू करने से पहले आपको दीपक जरूर जलाना चाहिए जो कि मंत्र जाप करने तक जलता रहे
- मंत्र को यदि किसी गुरु के मुख से ग्रहण किया जाए तो सफलता मिलने निश्चित होती है परंतु यदि आपके गुरु नहीं है तो निराश ना हो भगवान शिव ही सब के गुरु हैं उन्हें जगतगुरु कहा जाता है इन को साक्षी मानकर आप मंत्र जाप आरंभ कर सकते हैं
- मंत्र जाप हमेशा ही किसे शुभ समय में शुरू करना चाहिए जैसे कि कोई शुभ नक्षत्र हो शुभ दिन हो शुभ तिथी हो या ग्रहण काल हो अथवा नवरात्रों में भी आप शुरू कर सकते हैं
- मंत्र जाप का स्थान बिल्कुल साफ और स्वच्छ पवित्र होना चाहिए वह स्थान एकांत हो तो अति उत्तम यदि आप नियमों का पालन करते हैं तो निश्चित ही आपको मंत्र सिद्धि प्राप्त हो सकती है क्योंकि आपकी एकाग्रता भंग नहीं होगी
- मंत्र जाप अनुष्ठान जब हो जाए तब उस मंत्र से संबंधित देवता को भोग अवश्य ही अर्पित करें और 11 आहुतियां डालकर छोटा सा हवन भी जरूर करें ऐसा करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है
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मंत्र जाप के नियम
अब हम बात करेंगे कि मंत्र जाप के नियम कौन से हैं यदि आप इन नियमों का पालन करते हुए मंत्र जाप या उसका अनुष्ठान आरंभ करते हैं तो निश्चित ही आपको मंत्र सिद्धि प्राप्त हो सकती है यह सभी नियम जो आपके साथ शेयर किए जा रहे हैं सिर्फ अनुष्ठान के लिए है
- मंत्र जाप करते वक्त माला का होना अति आवश्यक है
- मंत्र जाप हमेशा निश्चित समय और निश्चित जप संख्या में ही करना चाहिए
- मंत्र की लेना तो बहुत अधिक तीव्र ना ही बहुत अधिक मध्यम हो
- जूते पहन कर कभी भी जाप नहीं करना चाहिए
- माला हाथ से गिरने नहीं चाहिए ना ही टूटनी चाहिए माला का टूटना मृत्यु सूचक समझा जाता है
- जाप करते समय माला के सुमेरू को लांघना नहीं चाहिए
- जब तक जाप चल रहा हो उस समय तक किसी से बात नहीं करनी चाहिए
- तर्जनी और कनिष्क का से कभी भी माला का सफर नहीं करना चाहिए बल की मध्यमा और अंगूठे की सहायता से माला फेरनी चाहिए
- मंत्र के देवता में पूर्ण विश्वास और श्रद्धा बनाए रखनी चाहिए
- जब तक अनुष्ठान चले तब तक आपको हमेशा भूमि शयन करना चाहिए और ब्रह्मचर्य के व्रत का पालन भी करना चाहिए
- रोज स्नान करना चाहिए तथा पूजा और दान भी करना चाहिए
- भूख प्यास लगी हो या चित व्याकुल हो तो ऐसे में भी मंत्र जाप नहीं करना चाहिए
- अशुद्ध जगह और अंधेरे स्थान में भी जाप नहीं करना चाहिए
- मंत्र अनुष्ठान के समय यदि मरनाशौच ( पातक ) जनानाशौच( सूतक ) पड़ जाए तो भी मंत्र जाप नहीं छोड़ना चाहिए
- शांति कर्म में जप अनुष्ठान करते समय मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए
मंत्र जाप करने वाले साधक के साथ क्या-क्या हो सकता है
जब कोई जातक मंत्र साधना की कोशिश करता है या कोई अनुष्ठान करता है तो उसे यह बातें जरूर याद रखना चाहिए
की भक्ति का मार्ग बहुत ही कठिन है जब कोई व्यक्ति पूरे दृढ़ निश्चय से पूरी लगन से और नियम से मंत्र का जाप करना आरंभ कर देता है तो बहुत सी अदृश्य शक्तियां इसमें बाधा उत्पन्न करती है कई बार उसे भयानक दृश्य दिखाई देते हैं चारों और अग्नि दिखाई देती है और घातक जानवर भी दिखाई पड़ते हैं अगर जातक वहां पर बैठा रहे जाप करता रहे घबराए नहीं तो
अब स्वयं ही शांत हो जाता है
मंत्र जाप में सिद्धि कैसे प्राप्त हो
एक बात आप ध्यान मैं रखें कोई भी बुरी शक्ति चाहे वह भूत प्रेत हो ही हो कुरम चक्र को पार नहीं कर सकती यदि साधक भयभीत होकर भागने लगे तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है और वह पागल भी हो सकता है मंत्र जाप के अनुष्ठान के समय अक्सर पिछले जन्म की किए हुए बुरे कर्म हमारे सामने किसी धन हानि अथवा बीमारी के रूप में हमारे सामने बाधाएं उत्पन्न करते हैं यदि जातक घबरा जाए तो इसमें जातक की हांानि है और यदि दृढ़ निश्चय से लगा रहे तो उसकी विजय होती है और उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है
नोट
अभी मैंने आपके साथ जो भी जाप के नियम शेयर किए हैं वे निष्काम जाप के लिए नहीं है निष्काम जाप में किसी भी समय और स्थान में दोष नहीं होता आप कभी भी चलते फिरते उठते बैठते जाप कर सकते हैं इससे इंसान को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसका मोक्ष का मार्ग सरल होता है
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1 टिप्पणियाँ
Nice
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