पिछले आर्टिकल में हमने गुरु ग्रह कुंडली में भावों के आधार पर कैसा फल देते हैंउस विषय में चर्चा की थी पिछले आर्टिकल में 1से 4 तक के भावों का फल बताया गया हैं आज हम 5 से 8तक के भावों में गुरु के फल पर चर्चा करेंगे और इससे आगे आर्टिकल में अंतिम के चार भाव 8-12 की जानकारी दी जाएगी
पांचवे भाव में देवगुरु बृहस्पति का फल
जिस जातक का गुरु ग्रह पंचम भाव में बैठा हो तो विद्या और संतान प्राप्ति में कुछ बाधा तो उत्पन्न करता हैं परन्तु उसे बाधा क बाद पुत्र और विद्या की प्राप्ति अवश्य होती हैं
जातक भाग्यशाली और धार्मिक होता हैं धर्म कर्म के कार्य करने से उसका भाग्य मजबूत होता है जातक को धार्मिक स्थान पर श्रम दान करने से मनोकामना की पूर्ती होगी
सातवीं दृष्टि लाभ भाव पर होने से जातक लाभ प्राप्त करने वाला होगा वह सूंदर आकर्षक और विद्वान होगा
षठे भाव में बृहस्पति का फल
षठे भाव में बैठे बृहस्पति जातक को शत्रु रोग और ऋण से छुटकारा दिलाते हैं जातक शत्रुहंता होगा और सदैव शत्रुओं पर वजय प्राप्त करेगा शुत्रियो को मुह की कहानी पड़ेगी
जातक ऋण लेकर जीवनयापन नहीं करेगा यदि लेगा भी तो ऋण उतर कर ही सांस लेगा
जातक का बिज़नेस बढ़िया चलेगा नौकरी में होगा तो भी उच्च पद पर होगा समाज में उसका मान सम्मान होगा वह प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा
उसकी आय बढ़िया होगी और वह धार्मिक कार्यो पर खर्च करने वाला होगा वह परोपकार के कार्यो पर भी खर्च करेगा
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सप्तम भाव में गुरु का फल
सप्तम भाव में देवगुरु जब बैठते हैं तो जातक Tविद्वान, गुणवान, आकर्षक व्यक्तित्व वाला समझदार व्यक्ति होता हैं व्यवसाय में उसे लाभ प्राप्त होता हैं
विवाह में कुछ विलम्ब हो सकता हैं परंतु विवाह बढ़िया होता हैं जातक का जीवनसाथी भी धार्मिक और परम ज्ञानी व्यक्ति होता हैं उसपर ईश्वरीय कृपा होती हैं
जातक के छोटे भाई बहन भी समझदार, नीतिवान और विद्वान होते हैं जातक पराक्रमी होता हैं वह अपने जीवन में अपने पराक्रम के बल पर आगे बढ़ता हैं उसके आय के स्त्रोत भी बढ़िया होते हैं
अष्टम भाव में बृहस्पति का फल
अष्टम भाव में बैठे बृहस्पति जातक की आकस्मिक दुर्घटनाओं से रक्षा करते हैं जातक दीर्घायु होता हैं जातक को गूढ़ विद्याओं का ज्ञान होता हैं और वह ऐसे विषय पढ़ना पसंद करता हैं
उसकी आय अच्छी होती हैं वह अपने प्रयासों और मेहनत के बल पर कजूब धनार्जन करता हैं और पैसे से पैसा बनाना जानता हैं
नवम दृष्टि सुख भाव पर होने के फलसवरूप जातक सुखी होता हैं उसकी माता भी समझदार और धार्मिक होती हैं उसके पास भूमि, भवन, वाहन का सुख होता हैं जातक सुखी और समृद्ध जीवन यापन करता हैं
वह धर्म कर्म करने वाला परोपकारी होता हैं अधिकतर खर्च इन्ही कार्यो पर करता हैं
ये था पांचवे से लेकर आठवे भाव में देवगुरु बृहस्पति का फल
पिछले आर्टिकल में मैंने पहले भाव से लेकर चौथे भाव में स्थित गुरु का फल बताया हैं आने वाले आर्टिकल में मैं नोवे भाव से लेकर बारवे भाव तक के बृहस्पति की जानकारी दूँगी
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