जानिए शुभ ग्रह बृहस्पति का 12 भावों में फल part - 1

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बृहस्पति को गुरु ग्रह के नाम से भी जाना जाता हैं ज्योतिष शास्त्र में यह ग्रह अत्यधिक शुभ ग्रह हैं इसका अन्य नाम जीव भी हैं और ये जीवन और सुख का कारक ग्रह  हैं धन, नाम, यश  पुत्र संतान भी गुरु प्रदान करता हैं 

गुरु ग्रह यदि किसी की कुंडली में केंद्र में बैठा हो तो कुंडली के दोषो को दूर करने में सक्षम हैं अर्थात वह परेशानियों में घबराता  नहीं बल्कि परेशानियों को दूर करने के  लिए रास्ता खोज निकलता हैं 

मजबूत गुरु वाला जातक दूसरो की जिंगदी में भी प्रकाश भरने का कार्य करता हैं वह अपने ज्ञान से दूसरो की परेशानियों का हल भी सुझा देता हैं और उनको भी सुखी जीवन जीने की राह दिखाता हैं 

यह तो था गुरु ग्रह का छोटा सा परिचय आज हम गुरु ग्रह का विश्लेशण करेंगे कि कुंडली के बारहो भावो में बैठा बृहस्पति जातक को कैसा फल प्रदान करता हैं 


गुरु का प्रथम भाव में फल 

गुरु जब किसी कि कुंडली में प्रथम भाव में होता हैं तो ऐसा जातक धर्मिक, दान पुण्य करने वाला रूपवान, ज्ञानवान और  महत्वकांक्षी होता हैं यहां बैठा गुरु शारीरिक दृष्टि से जातक को कुछ परेशानी दें सकता हैं

 गुरु अपनी पांचवी सृष्टि से पंचम भाव को देखता हैं फलस्वरूप जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता  हैं वह कई  पुत्रो से युक्त होता है उसके पुत्र भी धार्मिक,आज्ञाकारी और शुभ कर्म करने वाले नीतिवान होते है 

गुरु कि सातवीं दृष्टि सातवे भाव पर होने से उसका जीवनसाथी भी धार्मिक,  उच्च विचारो वाला और समाज में सम्मानित व्यक्ति होता हैं  ऐसे जातको का विवाहिक जीवन बढ़िया होता हैं 

गुरु कि नौवीं दृष्टि भाग्यस्थान पर पड़ने से जातक भाग्यशाली होता हैं जैसे जैसे जातक धर्म के पथ पर चलता रहता हैं वैसे वैसे उसके भाग्य में बढ़ोतरी होती रहती हैं उसी ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती हैं उसके भाग्य कि अड़चने स्वतः दूर होने लगती हैं 

गुरु का द्वितीय भाव में फल 

गुरु जब दुसरे भाव में होता हैं तो जातक अधिकतर धन  अपने ऊपर खर्च करने वाला होता हैं आय के स्त्रोत बने रहते हैं परन्तु खर्च भी बना रहता हैं 

पंचम दृष्टि षठे भाव में होने से रोग उसे अधिक देर तक परेशान नहीं कर पाते वह अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त कर लेता हैं 

अष्टम भाव पर दृष्टि होने कि वजह से व्यक्ति दीर्घायु होता हैं उसे जीवन में किसी बफी स्वास्थ्य समस्या से गुज़रना नहीं पड़ता 

नौवीं दृष्टि कर्म भाव पर होने से जातक कार्यस्थल पर सम्मानित होता हैं वह नौकरी में हो या व्यापार में उसे सफलता प्राप्त  होती  हैं 


तीसरे भाव में गुरु का फल 

तीसरे भाव में बैठा बृहस्पति जातक को पराकर्मी बनता हैं वह अपने प्राकर्म से अपनी आय में वृद्धि करने वाला होता हैं उसके भाई बहन धर्म के पथ पर चलने वाले होते हैं 

पांचवी दृष्टि सप्तम भाव पर पढ़ने से जातक का जीवनसाथी सुसंस्कारी,पढ़ा लिखा और अच्छे स्वभाव वाला होता हैं जातक का विवाहिक जीवन बढ़िया होता हैं 

सप्तम दृष्टि भाग्य भाव पर होती हैं अतः वह भाग्यवान होता हैं और अपने पराक्रम से भाग्य में बढ़ोतरी करने वाला होता हैं धर्म कर्म करने से भी भाग्य प्रबल होगा और जातक को ईश्वरीय कृपा प्राप्त होगी 

नौवीं दृष्टि आय भाव पर पढ़ने से जातक कि आय बढ़िया होती हैं वह अपने पराक्रम से दिन प्रतिदिन वृद्धि करता हैं अर्थात अपनी मेहनत लगन और प्रयास उसे कामयाब बनाते हैं 

चौथे भाव में गुरु का फल 

देव गुरु बृहस्पति जब जातक कि कुंडली में चौथे भाव में बैठते हैं तो उसे सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं ऐसा जातक भूमि, भवन, वाहन से युक्त  होता हैं ऐसा जातक अपने भाई बंधुओ पर खर्च करने वाला होता हैं 

पंचम दृष्टि अस्थम भाव पर होने से व्याक्ति दीर्घायु होता हैं सातवीं दृष्टि कर्म स्थान पर होने से उसकी आय के बढ़िया स्त्रोत जीवन भर बने रहते हैं वह सरकारी संसथान में कार्यरत भी हो सकता हैं 

नौवीं दृष्टी व्यय भाव पर होने से शुभ कर्मो पर खर्च करने वाला होता हैं वह अधिकतर खर्च दान पुण्य करने में करेगा वह अपनी परेशानियों को खतम या कम करने का प्रयास भी करेगा वह आशावादी होगा 

यह था गुरु का चार भावो में फल आने वाले आर्टिकल्स में अगले  भावो पर चर्चा कि जाएगी अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने परिचितो और मित्रो के साथ शेयर जरूर करें आप पोस्ट को लाइक भी कर सकते हैं यदि आप सरल तरीके से ज्योतिष सीखना चाहते हैं तो हमें फॉलो भी कर सकते हैं 

नोट              


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