इस जगह बैठा बृहस्पति बनता हैं धनवान आपकी कुंडली में तो नहीं ये योग

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पिछले दो आर्टिकल्स में मैंने कुंडली मे गुरु स्थिति के आधार पर फलकथन कहा हैं पहली पोस्ट में गुरु की 1 से 4 तक भावों   की स्थिति का फल बताया गया  हैं जबकि दुसरी  पोस्ट में 5से  8 तक के भावों में स्थित गुरु कैसा फल देते हैं उसकी जानकारी हैं आज के इस आर्टिकल में हम आखिर के 4भावों यानी 9 से 12 तक के भावों में क्या फल देंगे उस विषय पर बात की जाएगी 

देवगुरु बृहस्पति जिस व्याक्ति की कुंडली में शुभ  और बलवान(स्वः राशि या उच्च राशि ) होकर लगन में, लग्न या चंद्र से केंद्र में स्थित होते हैं ऐसा जातक धनवान और विद्वान होता हैं बशर्ते गुरु पर किसी पापी ग्रह की दृष्टि ना हो 


नौवे भाव में स्थित गुरु का फल 

जब किसी की कुंडली में देवगुरु बृहस्पति नौवे भाव में स्थित होते हैं तो ऐसा जातक पिता के लिए और स्वयं भी भाग्यशाली होता हैं जातक धार्मिक होगा और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होगा 

वह अपनी पराक्रम से आगे बढने वाला होगा उस पर ईश्वर की कृपा होगी धार्मिक कार्यो में रूचि लेने वाला होगा 

वह पुत्र पोत्रो से संपन्न होगा जातक को पढ़ने का शौक  होगा 
वह कई विषयो का जानकार जो सकता हैं या वह उच्च विद्या प्राप्त होगा यदि किसी कारणवश विद्या प्राप्त ना भी कर पाया हो तो भी काफी समझदार होगा 


दसवें  घर में बृहस्पति ग्रह का फल 

दसवे भाव को कर्म भाव भी कहा जाता हैं इस घर से जातक के करियर के विषय भी देखा जाता हैं अधिकतर ऐसे लोग सत्ता में देखे जाते हैं इनकी  आय के स्त्रोत भी अछे होते हैं 

जिस जातक का गुरु दशम भाव में होता हैं वह अधिकतर, वकील, जज या सरकारी नौकरी में कार्यरत होते हैं ऐसे जातक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी निपुण होते हैं और अधिकतर बौद्धिक क्षेत्र में कार्यरत देखे जाते हैं 

इनके पास खूब धन सम्पति होती हैं और इनके शत्रु अक्सर इनसे दबे रहते हैं समाज में इनका खूब रुतबा होता हैं 
जातक के नैन नक्श माता या ननिहाल पक्ष में से किसी से मिलते जुलते होंगे 

ग्यारवे भाव में देव गुरु बृहस्पति का फल 

ग्यारवे भाव को लाभ स्थान भी कहा जाया हैं इससे व्यक्ति को जीवन में होने वाली उपलब्धियो  की जानकारी प्राप्त होती हैं इसी भाव से आय भी देखी  जाती हैं 

जिस जातक की कुंडली में एकादश भाव में बृहस्पति होता हैं 
ऐसा जातक अच्छी आय वाला होता हैं गुरु ऐसे व्यक्ति पराक्रमी बनाते हैं  वह उच्च शिक्षा प्राप्त होता हैं 

उसे बहुपुत्र योग होता हैं उसके बचे भी उच्च पद पर होते हैं और जातक के आज्ञाकारी होते हैं जातक का विवाहिक जीवन सुखी होता हैं 

जातक का जीवनसाथी सुशील और सुंदर होता हैं वह धार्मिक प्रवृति का भी होता हैं ऐसे जातक अधिकतर बौद्धिक कार्यो से आजीविका प्राप्त करते देखे गए हैं 

द्वादश अथवा बाहरवें भाव् में बृहस्पति का फल 

द्वादश भाव को व्यय का भाव भी कहा जाता हैं यदि किसी की कुंडली में गुरु द्वादश या बाहरवें भाव में विराजमान हो तो ऐसा जातक धन धान्य  से परिपूर्ण होता हैं उसे जीवन में भूमि, भवन, वाहन का सुख प्राप्त होता हैं 

जातक के शत्रु उससे दबे रहेंगे जातक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला शत्रुहंता होगा वह धर्म कर्म जैसे पुण्य के कार्यो पर धान खर्च करने वाला होगा वह दान पुण्य करने वाला होगा 

जातक के रोग भी उसे अधिक देर तक परेशान नहीं कर सकते 
जातक शतायु या दीर्घायु होगा 

यह था देवगुरु बृहस्पति का कुंडली ले 12 भावों में फल जिसे मैंने तीन पोस्ट में कम शब्दों में समझाने  की कोशिश की हैं यह साधारण फलकथन हैं जो देवगुरु कुंडली स्थित होकर जातक को प्रदान करते हैं

 गुरु की हमारी कुंडली में स्थिति पूर्वजन्म के पुण्यो के आधार पर होती हैं अर्थात गुरु हमारे पूर्व जन्म के पुण्यो को दिखाता हैं 

आशा हैं आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी कृप्या पोस्ट को शेयर जरूर करें आप इसे लाइक भी कर सकते है

नोट 

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इस वर्ष शनि, राहु, केतु और गुरु जैसे बड़े  ग्रह राशि परिवर्तन करने वाले हैं जो की नया बदलाव लेकर आएंगे 

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